हाथ बाँधकर आज व्यथित हो न जाने किस श्राप से ग्रसित हो मोहन तुम्हारी सखी द्रौपदी निर्वस्त्र खड़ी तमाशाइयों की भीड़ बड़ी अस्मत के धागे तार तार हुए लगता है दुर्योधन से तुम भी डरे हो हमारी आस्था से शायद तुम परे हो. ©malay_28 #अस्मत