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अब खबर - ए - अखबार में आम हो गयी हर दिन मौत हर शाम

अब खबर - ए - अखबार में आम हो गयी
हर दिन मौत हर शाम मौत के खौफ मे गुजरने लगी

इस बीमारी ने कितनो को असहाय कर दिया
कही खाने के नाम पे ही कत्ल सरे आम हो रहा

वो माता पिता का सहारा बेरोजगार हो गया
कैसा मंजर है जहां प्रकृति खुश ओर इंसान दुखी है

वो पैदल चलते चलते पांव ना थके लेकिन सांसे थम गयी
मानो कुछ भी हकीकत नहीं सब फसाना हो गया

अभी रफ़्तार पकड़ी थी ज़िंदगी ने की 
फिर वही फसाना हो गया थम सी गयी ज़िंदगी 

यहां इस मोड़ पर आकर 
अब तो बस उस सुबह का इंतज़ार है 

जब खबर- ए - अखबार मे इस बीमारी का नाम भी ना हो 
मेरे देश का कोई भी व्यक्ति लाचार ना हो......!! 
                                                    - awi #wait #Lifeaftercorona #hindipoetry #Hindi #poem
अब खबर - ए - अखबार में आम हो गयी
हर दिन मौत हर शाम मौत के खौफ मे गुजरने लगी

इस बीमारी ने कितनो को असहाय कर दिया
कही खाने के नाम पे ही कत्ल सरे आम हो रहा

वो माता पिता का सहारा बेरोजगार हो गया
कैसा मंजर है जहां प्रकृति खुश ओर इंसान दुखी है

वो पैदल चलते चलते पांव ना थके लेकिन सांसे थम गयी
मानो कुछ भी हकीकत नहीं सब फसाना हो गया

अभी रफ़्तार पकड़ी थी ज़िंदगी ने की 
फिर वही फसाना हो गया थम सी गयी ज़िंदगी 

यहां इस मोड़ पर आकर 
अब तो बस उस सुबह का इंतज़ार है 

जब खबर- ए - अखबार मे इस बीमारी का नाम भी ना हो 
मेरे देश का कोई भी व्यक्ति लाचार ना हो......!! 
                                                    - awi #wait #Lifeaftercorona #hindipoetry #Hindi #poem