शमा नहीं मोहताज़ होती परवानों की मदिरा नहीं मोहताज़ जैसे मैखानों की आशिक़ी नहीं मोहताज़ पागल दीवानो की ज़िन्दगी नहीं मोहताज़ जैसे नगमे अफसानों की जंगलों में भी आ जाती हैं यूँ ही बहारें मिन्नतकश नहीं बागबानों की इश्क़ में मरते हैं हम तो रोज़ रात दिन जरूरत किसे है यहां कत्लखानों की चुप होना तो यहां इक रस्म सा है खामोशी यहां जागीर नहीं बेजुबानों की लिख देते हैं मन करता है जब भी बात अरमानों की शायरी हमारी मोहताज़ नहीं कभी कद्रदानों की #imagination #nojoto #vihang #life #shayari