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सफ़र हर सफ़र को ऐ मौला आसान बना देना हर शाम दिवाली ह

सफ़र हर सफ़र को ऐ मौला
आसान बना देना
हर शाम दिवाली हर दिन को
रमजान बना देना
किसी को दो गज जमीं को मोहताज़ न होना पड़े
ख़ुदा तुम हर शमसान को कब्रिस्तान
हर कब्रिस्तान को शमसान बना देना हर सफ़र को ऐ मौला
आसान बना देना
हर शाम दिवाली हर दिन को
रमजान बना देना
किसी को दो गज जमीं को मोहताज़ न होना पड़े
ख़ुदा तुम हर शमसान को कब्रिस्तान
हर कब्रिस्तान को शमसान बना देना
सफ़र हर सफ़र को ऐ मौला
आसान बना देना
हर शाम दिवाली हर दिन को
रमजान बना देना
किसी को दो गज जमीं को मोहताज़ न होना पड़े
ख़ुदा तुम हर शमसान को कब्रिस्तान
हर कब्रिस्तान को शमसान बना देना हर सफ़र को ऐ मौला
आसान बना देना
हर शाम दिवाली हर दिन को
रमजान बना देना
किसी को दो गज जमीं को मोहताज़ न होना पड़े
ख़ुदा तुम हर शमसान को कब्रिस्तान
हर कब्रिस्तान को शमसान बना देना