तू मुझे बता कर तो जाता, ये जाते-जाते, क्या तू यहीं रुक जाता, अग़र वादे निभाए जाते।। माना मैंने नहीं निभाई महोब्बत सलीके से लेकिन..तुम अपने हिस्से की महोब्बत तो निभाते जाते।। फ़ज़ाएँ भी शिक़वा करती है अब मुझसे क्योंकि..तूने ग़ुलाब जो लगा दिए मेरे आँगन में, जाते-जाते।। चाँद-सूरज भी पूछते हैं मेरे शफाफ़ चेहरे का सबब..तू रोशन जो कर गया मुझे, जाते-जाते।। तू मुझे बता कर तो जाता, ये जाते-जाते क्या तू यहीं रुक जाता, अग़र वादे निभाए जाते।। निकल पड़ता हूँ बेवक़्त रास्तों पर मैं आजकल यों ही..इन्हीं रास्तों पर तो हम मिला करते थे, आते-जाते।। गली के उसी नुक्कड़ को बना लिया है मैंने घर अपना..आख़िरी बार वहीं तो मिला था तू मुझे, जाते-जाते।। मैकदे पूछते हैं मुझसे मेरी आँखों में बसे नशे का सबब..तू अपनी महोब्बत का नशा जो छोड़ गया मेरी आँखों में, जाते-जाते।। तू मुझे बता कर तो जाता, ये जाते-जाते, क्या तू यहीं रुक जाता, अग़र वादे निभाए जाते।। महफ़िलें अब सजती नहीं, मैं तन्हा ही रहता हूँ शाम-ओ-सहर..तू भरी महफिल में जो छोड़ कर गया था मुझे, जाते-जाते।। चारों तरफ़ सन्नाटा है, आवाज़ कोई भी नहीं अब मेरे शहर में..तूने आवाज़ जो ना लगाई मुझे जाते-जाते।। चराग़ों की रोशनी काली है आजकल मेरे शहर में..तू अपने हाथों से रोशन कर के जो नहीं गया इन्हें, जाते-जाते।। तू मुझे बता कर तो जाता, ये जाते-जाते, क्या तू यहीं रुक जाता, अग़र वादे निभाए जाते।। मेरा साँस लेना भी दुश्वार हो गया है अब तो..तू अपनी खुशबू जो छोड़ गया मेरी साँसों में जाते-जाते।। मैं तेरी यादों को मिटाने में रोज़ घुट रहा हूँ..कम-से-कम अपनी यादें तो मिटाता जाता, तू जाते-जाते।। सब पूँछते है मेरे दर्द में भी हँसने का सबब..तू ख़ुशियाँ जो छोड़ गया यहाँ से, जाते-जाते।। तू मुझे बता कर तो जाता, ये जाते-जाते, क्या तू यहीं रुक जाता, अग़र वादे निभाए जाते।। यों नहीं के मैं तेरे बिन रह नहीं सकता लेकिन..मेरी नज़रे तुझे ढूँढती रहती हैं, आते-जाते।। ये पेड़-पौधे, ये पंछी, सब तक रहे हैं तेरी राह अब तक..तू लौट कर आने का वादा जो कर के गया था इनसे, जाते-जाते।। अब तो छोड़ चला मैं उम्मीद भी तेरे आने की..तूने देर बहुत लगा दी, लौट कर आते-आते।। तू मुझे बता कर तो जाता, ये जाते-जाते, क्या तू यहीं रुक जाता, अग़र वादे निभाए जाते।। अंकित गुप्ता।। जाते-जाते।।