हम तो चलतें हैं, अपनें हौंसले पे।। ना मंजिल मेरा, ना हैं सफ़र मेरा, हम तो बढ़तें जातें अपनें मुकाम पे।। हैं भरोसा अपनी बाजुओं पर मुझे, करूंगी फतेंह हैं इतना विश्वास मुझे। क्या हुआ आज मंजिल की तलाश में हूं, कल रहुंगी मंजिल पर, यें हैं आस मुझे।। रात के घनघोर अंधेरे को मिटा दूंगी मैं, चहुं ओर प्रकाश की रोशनी फैला दूंगी मैं। क्या हुआ गर लड़खड़ा गए आज नेह हम, सफलता की कहानी कभी ना कभी लिखूंगी मैं।। इस पर collab कीजिए। आपके मन में जो भी है, अब व्यक्त कीजिए। "अंधेरा" एक ऐसी चीज है जो बहुत सरलता से आति है पर दिन की रौशनी को अंधेरा कभी छुपा नहीं पाता। अपने रचना को कविता का रूप दीजिए। हमे आप सबके रचना का इंतजार रहेगा। अपने हृदयस्पर्शी रचना से सबको प्रेरणा दे 🙏 💕सारे रचनाओ से केवल एक रचना हम सर्वोत्तम घोषित करेंगे। 💕 🙏धन्यवाद 🙏