मिल के दो आब, दोआब बन गए। वो चिंगारियां से अब चिराग बन गए।। थे कबसे जो दिल में कुछ आस लिए। वो जलवाए जुनून से जाबाज बन गए।। मुखालफत - ए - इश्क़ में यूं साजिशें हुईं। गरक हुए संग जो शैलाब बन गए।। ना दें नसीहतें, रखें, काम देगा। अब कली ना रहे के गुलाब बन गए।। दो किस्म की आग है पता है रब्बानी। दिल जल के ख़ाक, मोम शीमाब बन गए।। Adnan Rabbani's Shayari • #मिल के दो #आब, दोआब बन गए। वो #चिंगारियां से अब #चिराग बन गए।। थे #कबसे जो #दिल में कुछ #आस लिए। वो #जलवाए #जुनून से #जाबाज बन गए।।