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तुम एक अजीब पहेली हो तुम , कभी चिलचिलाती धूप, त

तुम 

एक अजीब पहेली हो तुम ,

कभी चिलचिलाती धूप, तो कभी निर्मल छाव, हो तुम,

तुम दर्द हो और दर्द की दवा भी, 

तुम चोट भी और मरहम भी,

तुम अपने भी,और पराये भी,

अल्फाज भी तुम, और  खामोशी, भी तुम,

कभी धड़कन बनकर दिल पर दस्तक देते हो,

तो कभी याद बनके  मेरे  ख्यालों में आते हो,

मेरे चेहेरे पर मुस्कुराहट लाते  हो तुम,

और आँखो की न्मी बानके रहे जाते हो तुम.

©Lakshmi Menon
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