बैठ जाता हूँ अक्सर रातों को नींद से उठकर मुझको अंदर से मेरी लापरवाही खलती है कभी यादें तेरी मुझको जिंदगी से दूर ले जाती हैं पर क्या! मुझे तो पूरी कायनात में तन्हाई मिलती है मैं तो सूखे तिनकों सा दुनिया से अलग था तूने जो फूंकी थी चिंगारी वो आग आज भी जलती है सुना है एक दिन सब कुछ शांत हो जाता है इंसान की कीमत तो मरने के बाद ही पता चलती है मेरी नींदो में ख्वाब नही आते आते अब मेरी साँसों को तेरी रुसवाई खलती है क्या करूँ जीना छोड़ दूं मैं लेकिन कैसे इस जिन्दगी के साथ तेरी यादें जो पलती हैं डर है कि मरकर तुझे भूल ना जाऊं ये जिंदगी भी लेकिन सबको कहाँ मिलती है..!! ©SamEeR “Sam" KhAn #रुसवाई