अंधेरा ही जन्म में रहा हुआ होगा। अंधेरे से मुलाकात का नस्तूर भोगा। उंजला भवन कोई सपना रहा होगा। उंजाला हमसे जाने कैसे दूर ही होगा। अंधे हुए पड़े सभी कब्रगार जैसे होगा। दिखे कुछ तो एक ज्योति बिंद ही होगा। दिखाने के लिए दर्द के सिवा क्या होगा। बुझा सा चेहरा लिए कोई खड़ा तो होगा। कभी तो मुकद्दर को हमपे यकीन होगा। सपने हसीन संजोने को कोई आया होगा।। प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए कलमकार-की- तलाश✍✍ का followers होना अनिवार्य है अन्यथा आपकी रचना स्वीकार नही की जायेगी । 👉 Collab पुर्ण करने के पश्चात दिए हुए पेज में comment में Done लिखकर ही mention करे , अन्यथा मान्य नही होगा । 👉 कृपया एक रचनाकार द्वारा एक ही comment किया जाए । 👉 कृपया एक प्रतियोगी एक ही एक ही रचना करे,