तू चीज क्या है, मैं तुझसे बोलने से डरता हूं, आता हूं पास तो, कमबख्त दिल, कह संभलता हूं, तू चीज क्या है। रास्ते कई हैं बात करने के, पर समझ ना आए रास्ता कोई, रास्ता मिला भी तो मैं, उससे गुजर न पाऊं, आता हूं पास तो, कमबख्त दिल, कह संभलता हूं, तू चीज क्या है। कहने को तो मर्द हूं मैं, पर, बच्चों जैसी हरकत है, कहने को तो कह दूं, पर, डर है और मुसीबत है, आता हूं पास तो, कमबख्त दिल, कह संभलता हूं, तू चीज क्या है। तू #चीज क्या है, मैं तुझसे #बोलने से #डरता हूं, आता हूं #पास तो, #कमबख्त #दिल, कह #संभलता हूं, तू चीज क्या है। #रास्ते कई हैं #बात करने के, पर #समझ ना आए रास्ता कोई,