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किसान आदमी एक किलो धान पैदा करने में १५०० लीटर पान

किसान आदमी एक किलो धान पैदा करने में १५०० लीटर पानी खर्च करता है। 
दस रुपये किलो फसल तैयार होने पर सरकारी बिचौलिये खरीद लेते हैं २० रुपये की बिसलरी का पानी पीकर।
चीन जैसे देश ज्यादा पानी से पैदा होने वाली फसलों को बंद कर चुका है। क्यों वह पानी की समस्या से जूझ रहा है।इसलिये वह तैयार फसल भारतीय बिचौलियों से  खरीद लेता है।इस तरह से वह खरबों लीटर पानी बचा लेता है।इसे जुमलेबाजी नहीं दिमाग कहते हैं।
भारतीय नेता फसल का दाम चुनाव जीतने के लिये बढ़ाते हैं। गरीब को किराये की भीड़ बनाकर उसे बिसलरी की जगह कच्ची शराब पिलाकर वोट डलवाते हैं। करोड़ों रुपये के ऊंचे मंचों से गरीब जनता के हित साधने वाले नेता नुक्कड़ पर क्यों नहीं  आते जहां गरीब मुंडेर पर बैठा विकास के इंतजार में आत्महत्या पर विचार करता है। 
भाईयों ऊंचे से गुमराह मत हो।
न ही ऊंचे से किसान कीआय दो गुनी होगी। 
हां खेत में फसल की जगह बिसलरी बोने लगे किसान तो शायद २० रुपये लीटर पानी बेंच कर वह अपनी आय दो गुनी कर सकता है। 
फसल कौन पैदा करेगा तो यह सरकारी कर्मचारी जो रिश्वत को मूंह खोले बैठे हैं जिनका खर्च पूरा नहीं होता वह खेतों में अनाज पैदा करें या रिश्वत पैदा करें किसान तो अनाज की जगह पानी बेंचेगा।
यही कटुता सत्य है। 
बाबा
किसान आदमी एक किलो धान पैदा करने में १५०० लीटर पानी खर्च करता है। 
दस रुपये किलो फसल तैयार होने पर सरकारी बिचौलिये खरीद लेते हैं २० रुपये की बिसलरी का पानी पीकर।
चीन जैसे देश ज्यादा पानी से पैदा होने वाली फसलों को बंद कर चुका है। क्यों वह पानी की समस्या से जूझ रहा है।इसलिये वह तैयार फसल भारतीय बिचौलियों से  खरीद लेता है।इस तरह से वह खरबों लीटर पानी बचा लेता है।इसे जुमलेबाजी नहीं दिमाग कहते हैं।
भारतीय नेता फसल का दाम चुनाव जीतने के लिये बढ़ाते हैं। गरीब को किराये की भीड़ बनाकर उसे बिसलरी की जगह कच्ची शराब पिलाकर वोट डलवाते हैं। करोड़ों रुपये के ऊंचे मंचों से गरीब जनता के हित साधने वाले नेता नुक्कड़ पर क्यों नहीं  आते जहां गरीब मुंडेर पर बैठा विकास के इंतजार में आत्महत्या पर विचार करता है। 
भाईयों ऊंचे से गुमराह मत हो।
न ही ऊंचे से किसान कीआय दो गुनी होगी। 
हां खेत में फसल की जगह बिसलरी बोने लगे किसान तो शायद २० रुपये लीटर पानी बेंच कर वह अपनी आय दो गुनी कर सकता है। 
फसल कौन पैदा करेगा तो यह सरकारी कर्मचारी जो रिश्वत को मूंह खोले बैठे हैं जिनका खर्च पूरा नहीं होता वह खेतों में अनाज पैदा करें या रिश्वत पैदा करें किसान तो अनाज की जगह पानी बेंचेगा।
यही कटुता सत्य है। 
बाबा
nojotouser7761555273

BABA

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