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ज़िंदगी इतनी बिखरी हुई है कि उसे समेटते-समेटते उम

ज़िंदगी इतनी बिखरी हुई है कि उसे 
समेटते-समेटते उम्र कब छोटी पड़ 
जाती है पता ही नहीं लगता।

©Gunjan Rajput ज़िंदगी इतनी बिखरी हुई है कि उसे समेटते-समेटते उम्र कब छोटी पड़ जाती है पता ही नहीं लगता।
#standout #thought #life #poetry #poetrycommunity 
#lifethought
ज़िंदगी इतनी बिखरी हुई है कि उसे 
समेटते-समेटते उम्र कब छोटी पड़ 
जाती है पता ही नहीं लगता।

©Gunjan Rajput ज़िंदगी इतनी बिखरी हुई है कि उसे समेटते-समेटते उम्र कब छोटी पड़ जाती है पता ही नहीं लगता।
#standout #thought #life #poetry #poetrycommunity 
#lifethought