जब लाइलाज थे तब संभाल गए, अब टीका हैं फिर भी फिसल गए, कोई दोष नहीं महामारी का दिवाला निकल गया समझदारी का, छूट क्या मिली लापरवाह हो गए, हम खुद ही इतने बेपरवाह हो गए, न मास्क पहेना न दो गज की दूरी, ज़िंदगी दाव पर लगा दी हमनें पूरी । ©Nehu #Society #covid19 #public