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कितना हसीं था वो बचपन हमारा वो बागों का झूला ताला

कितना हसीं था वो बचपन हमारा

वो बागों का झूला तालाबों का किनारा

कभी गर्मी की आग फ़िर बारिश की बूँदें

करते थे हम बारिश में छपाके लगाना

कभी माँ का था डर तो बाबू जी का गुस्सा

याद आता है अब भी वो बचपन हमारा

वो पल में रूठ जाना अगले पल हीं मान जाना

कभी थे खेलों के ढेर पर अब मोबाइल चलाना

कभी लू में थे दौड़े नंगे बिरंगे अब तो दूभर हुआ कमरे से निकलना

कभी था मड़ई में जंगला पर अब संगमरमर बिछी है

मिलने से कतराती नजरिया देखे तो तिरछी हुयी है

याद आता है अब भी वो बचपन हमारा

वो सुतरी की खटिया गदरी का बिछौना

वो सरसों के खेतों में तितली पकड़ना

अपने पेड़ों को छोड़ सबके पेड़ो पे चढ़ना

याद आता है अब भी वो बचपन हमारा

वो गावों में कजरी औरत का झुंडों में गाना

वो सिलवट पर चटनी पुदीने के साथ

बनाकर आंटे की चिड़िया और चूल्हे में पकाना

याद आता है अब भी वो बचपन हमारा

वो बब्बा की बीड़ी चूल्हे में सुलगाना

देने से पहले दो-चार फूंके लगाना

वो इनारे के पानी में शरबत बनाना

पिलाने की ख़ातिर लम्बी लाइन लगवाना

याद आता है अब भी वो बचपन हमारा

राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी 
(भाग-1)

©मेरी दुनियाँ मेरी कवितायेँ कितना हसीं था बचपन हमारा-1
कितना हसीं था वो बचपन हमारा

वो बागों का झूला तालाबों का किनारा

कभी गर्मी की आग फ़िर बारिश की बूँदें

करते थे हम बारिश में छपाके लगाना

कभी माँ का था डर तो बाबू जी का गुस्सा

याद आता है अब भी वो बचपन हमारा

वो पल में रूठ जाना अगले पल हीं मान जाना

कभी थे खेलों के ढेर पर अब मोबाइल चलाना

कभी लू में थे दौड़े नंगे बिरंगे अब तो दूभर हुआ कमरे से निकलना

कभी था मड़ई में जंगला पर अब संगमरमर बिछी है

मिलने से कतराती नजरिया देखे तो तिरछी हुयी है

याद आता है अब भी वो बचपन हमारा

वो सुतरी की खटिया गदरी का बिछौना

वो सरसों के खेतों में तितली पकड़ना

अपने पेड़ों को छोड़ सबके पेड़ो पे चढ़ना

याद आता है अब भी वो बचपन हमारा

वो गावों में कजरी औरत का झुंडों में गाना

वो सिलवट पर चटनी पुदीने के साथ

बनाकर आंटे की चिड़िया और चूल्हे में पकाना

याद आता है अब भी वो बचपन हमारा

वो बब्बा की बीड़ी चूल्हे में सुलगाना

देने से पहले दो-चार फूंके लगाना

वो इनारे के पानी में शरबत बनाना

पिलाने की ख़ातिर लम्बी लाइन लगवाना

याद आता है अब भी वो बचपन हमारा

राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी 
(भाग-1)

©मेरी दुनियाँ मेरी कवितायेँ कितना हसीं था बचपन हमारा-1
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