मन की आखों से देखों क्योंकि मन की आँखों से देखो क्योंकि.. पत्तो ने देखो पतझड़ का मन बना लिया शाखों ने उन्हें इजाज़त का मन बना लिया ये उड़ी सी है रंगत फ़िज़ा की आज जो है लगता, बहारों ने विदाई का मन बना लिया छुप गया चाँद आज बादल में जाकर यूँ चाँदनी को न बिखेरने का मन बना लिया हर ओर जहरीली सी फ़िज़ा,भयभीत इंसान मन की आँखों ने देख ,लिखने का मन बना लिया ©gunjan jain जहरीली फ़िज़ा #AdhureVakya