ज़ख़्म मिले बहुत मुझे, दर्द से भरी हर शाम और सुबह ख़ुदा से बस इल्तिजा इतनी, ग़म की फ़िजा से दूर रहे वो 🌝प्रतियोगिता-152🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌹"इल्तिजा"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I