ताज़ा ग़ज़ल ज़रूरी है महफ़िल के वास्ते, सुनता नहीं है कोई दोबारा सुनी हुई... - मुनव्वर राना #NojotoQuote ताज़ा ग़ज़ल ज़रूरी है महफ़िल के वास्ते , सुनता नहीं है कोई दोबारा सुनी हुई ... . मुनव्वर राना की ये ग़ज़ल बेशक़ शायरी पसन्द लोगों को ज़ुबानी याद हो...नाम है - दोहरा रहा हूँ बात पुरानी कही हुई... . . . ये ऊपर का जो शेर है जिससे मैंने इस ब्लॉग की शुरुआत की है काफ़ी संज़ीदगी है इसमें अगर गौर फ़रमाया जाए...ज़िन्दगी से जुड़ी एक बहुत बड़ी सच्चाई समाई है इसमें...लोगों को हर वक़्त कुछ नया चाहिए होता है, वो आपकी परिस्थिति का मतलब न समझते हुए बस उसके मज़े लेते नज़र आते हैं, देर होती है बस किसी के नए किस्से या किसी की