Nojoto: Largest Storytelling Platform

जीवनभर न हो सके, आंचल से आजाद। जब कीचड़ से आदमी, इ

जीवनभर न हो सके, आंचल से आजाद।
जब कीचड़ से आदमी, इन्द्रधनुष हो जाए।
 हम तो मस्त कबीर हैं, किसके आए हाथ। 
मरने वालों देखना, हम पर आंच न आए।

©Death_Lover
  #holikadahan #कबीर #आज़ाद #यथार्थ #सच