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मेरी कलम ने लिखा, जो उसने होते दिखा, जो उसने खुद स

मेरी कलम ने लिखा,
जो उसने होते दिखा,
जो उसने खुद से खोते देखा
उन्हें शब्दों में पन्नों पर रखा।

कहीं नीली ,कहीं काली स्याही,
दर-दर ठोकर खाता राही,
उसने पड़ा मेरा अंतर्मन,
उसने किसी का अकेलापन लिखा।

एक कलम की नोंक पर, 
किसी ने पुरा जमाना देखा,
दर्द भुलाकर, शब्दों से दोस्ती कर ली,
कविताओं को किसी ने अपना ठिकाना लिखा।

आंखों से बह नहीं पाए जो अश्रू,
स्याही से उतार दिया पन्नो पर,
वह लम्हा-लम्हा जलता रहा दिए की तरह,
खुशियों की तलाश में फिर उसने लिखना सिखा।

मेरी कलम ने वह सब लिख दिया,
जो अक्सर मैं किसी से कह पाता नहीं,
दर्द जो न बांट पाता, और नहीं सह पाता हूं,
मन शांत कर मेरा, मेरी कलम ने भविष्य लिखा।

©Aarti Choudhary
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