मैं और कोई नही, मै आमेर हु। मैं गौरव हु और इतिहास हु विश्व गुरु भारत का, मै मान और मर्यादा हु, धर्म गुरु भारत का, मै राजस्थान के रोम रोम में हु , मै आमेर किला हु भारत का। मेरी महिमा की गाथा, सुनते और सुनाते है, मै प्रतापी और अखण्ड हु, ग़ुलाबी शहर भारत का। सदियों से प्रचंड खड़ा हूँ, हा, मै अरावली से हु, मै ही हु आमेर भारत का