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वो इस तलक खुद से हार बैठी थी, ना लूं जन्म दुबारा,

वो इस तलक खुद से हार बैठी थी,
ना लूं जन्म दुबारा, पुकार बैठी थी,
बाबा की गुडियाँ जो, सपनों से रोशन थी
बनकर हैवानीयत का शिकार,जीवन हार बैठी थी
परी थी अपने घरौंदे की वो, जो पीड़ मिली उसको
बस सपने थे रंगीले जिन्हें अन्त समय भी पुकार बैठी थी।
वहशी दरिंदो के हाथों, अपना दांव लगता देख
बाबुल तेरी चिड़ियाँ, उड़ चलि! पुकार बैठी थी।
ना लूं जन्म दुबारा, इस धरती पर , अब
बिटियाँ की अन्तर्रात्मा स्वीकार बैठी थी।
चीख रही थी, सहम-सहम कर,
रंगो की दुनियाँ ओंझल होते,
अगले जन्म बिटियाँ ना किज्यों
ना दीज्यों ऐसो वेंश,
सूखे दरख्त संग बापू बनीयो
सूना रहे, बिटियाँ बिन पूरा परदेश।

©Sunita Meena #Betiyan #rapeagainst 

#Stoprape
वो इस तलक खुद से हार बैठी थी,
ना लूं जन्म दुबारा, पुकार बैठी थी,
बाबा की गुडियाँ जो, सपनों से रोशन थी
बनकर हैवानीयत का शिकार,जीवन हार बैठी थी
परी थी अपने घरौंदे की वो, जो पीड़ मिली उसको
बस सपने थे रंगीले जिन्हें अन्त समय भी पुकार बैठी थी।
वहशी दरिंदो के हाथों, अपना दांव लगता देख
बाबुल तेरी चिड़ियाँ, उड़ चलि! पुकार बैठी थी।
ना लूं जन्म दुबारा, इस धरती पर , अब
बिटियाँ की अन्तर्रात्मा स्वीकार बैठी थी।
चीख रही थी, सहम-सहम कर,
रंगो की दुनियाँ ओंझल होते,
अगले जन्म बिटियाँ ना किज्यों
ना दीज्यों ऐसो वेंश,
सूखे दरख्त संग बापू बनीयो
सूना रहे, बिटियाँ बिन पूरा परदेश।

©Sunita Meena #Betiyan #rapeagainst 

#Stoprape
sunitameena1356

S.m

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