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चाहे छू लो आसमाँ कितना भी लेकिन जमीं के निशाँ नही

चाहे छू लो आसमाँ कितना भी लेकिन जमीं के निशाँ नही भूलने चाहिए,

बना लो इमारतें ऊंची-ऊंची,मगर कच्चे मकाँ नहीं
भूलने चाहिए,

करो नाम दुनिया मैं कितना भी लेकिन,पुराने समाँ नहीं
भूलने चाहिए,

बना लो ज़माने को अपना अज़ीज़,अंदाज़-ए-बयाँ नहीं
भूलने चाहिए,

कमाए खूब इंसान दौलत मगर,औक़ातों के पैमाँ नहीं
भूलने चाहिए,

हो इंसान तुम खुदा मत बनो, तुम्हे मौत के सामाँ नहीं भूलने चाहिए।
(सऊद अहमद खान) #maut #zindgi #insaan #shayri #poetry #ghazal #auqaat #nazm #insaniyat
चाहे छू लो आसमाँ कितना भी लेकिन जमीं के निशाँ नही भूलने चाहिए,

बना लो इमारतें ऊंची-ऊंची,मगर कच्चे मकाँ नहीं
भूलने चाहिए,

करो नाम दुनिया मैं कितना भी लेकिन,पुराने समाँ नहीं
भूलने चाहिए,

बना लो ज़माने को अपना अज़ीज़,अंदाज़-ए-बयाँ नहीं
भूलने चाहिए,

कमाए खूब इंसान दौलत मगर,औक़ातों के पैमाँ नहीं
भूलने चाहिए,

हो इंसान तुम खुदा मत बनो, तुम्हे मौत के सामाँ नहीं भूलने चाहिए।
(सऊद अहमद खान) #maut #zindgi #insaan #shayri #poetry #ghazal #auqaat #nazm #insaniyat