यहाँ हम सब खुद को शायर समझते हैं पर किसी के ज़ज्बात कहाँ हम समझते हैं कल ही देखा मैंने सब धर्म को कितना ज्यादा और इंसान को कितना कम समझते हैं लेखक समाज के हर पहलू को लिखता है बस पढ़ने वाले इस बात को कम समझते हैं सबके दुख बेचैनी लिखने की हिम्मत रखते हो तुम पर "दीप" सब मतलबी हैं, कहाँ किसी के ग़म समझते हैं हम उस दौर में हैं जहां खुल के खुद को अभिव्यक्त भी नहीं कर सकते, ना ही अपने अवलोकन को, पर फिर भी जोर जबरदस्ती का लिखना है हमको। इंसान हैं पहले इंसान को समझें, भौतिकवादी चीजों से कहीं ज्यादा जरूरी इंसान हैं हम लेखकों के लिये 🙏 #humanity #love #religion #quote #express