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जमाने से होकर हम घायल पड़े हैं इक तेरे इश्क में

जमाने से होकर हम  घायल पड़े हैं 
इक तेरे इश्क में होकर पागल पेड़ है

तुम्हारी आँखें और भी नशीली हो गयी हैं 
जब तुम्हारी आँखों मे ये काजल पड़े हैं 
 
यूँ ही नही आँखों भर आयी मुझे देखकर 
यूँ ही नही तेरे आंसू आँखों से चल पड़े हैं

मुझको मालूम है तुम्हें भी मौहब्बत हैं हमसे
शायद इसी बात पे जमाने वाले जल पड़े हैं
अभय बलरामपुरी जमाने से होकर हम  घायल पड़े हैं 
इक तेरे इश्क में होकर पागल पड़े है

तुम्हारी आँखें और भी नशीली हो गयी हैं 
जब तुम्हारी आँखों मे ये काजल पड़े हैं 
 
यूँ ही नही आँखों भर आयी मुझे देखकर 
यूँ ही नही तेरे आंसू आँखों से चल पड़े हैं
जमाने से होकर हम  घायल पड़े हैं 
इक तेरे इश्क में होकर पागल पेड़ है

तुम्हारी आँखें और भी नशीली हो गयी हैं 
जब तुम्हारी आँखों मे ये काजल पड़े हैं 
 
यूँ ही नही आँखों भर आयी मुझे देखकर 
यूँ ही नही तेरे आंसू आँखों से चल पड़े हैं

मुझको मालूम है तुम्हें भी मौहब्बत हैं हमसे
शायद इसी बात पे जमाने वाले जल पड़े हैं
अभय बलरामपुरी जमाने से होकर हम  घायल पड़े हैं 
इक तेरे इश्क में होकर पागल पड़े है

तुम्हारी आँखें और भी नशीली हो गयी हैं 
जब तुम्हारी आँखों मे ये काजल पड़े हैं 
 
यूँ ही नही आँखों भर आयी मुझे देखकर 
यूँ ही नही तेरे आंसू आँखों से चल पड़े हैं