एक ऐसा भी सफर हो जिसमें तु ही मेरा हमसफर हो मैं जो न सोचूं तुझे वही मेरा आखिरी सफर हो न हो रही अब तेरी लफ्जों में कोई हरकत है शायद यही मेरी फितरत है मैं जो न सोचूं तुझे कलम खामोश सी हो जाती है पर इंतजार में बरकत हो जाती है तेरी खामोशी भी मेरे लिए सबक सी है मिला दु अलफ़ाज़ तो कोई कविता सी है मैं जो न सोचूं तुझे मानो मेरे मन में कोई उदासी सी है मैं जो न सोचूं तुझे📝😍😘 Please like and share my poem and comment also😊