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एक और निर्भया....... (Read in Caption) उसकी चित


एक और निर्भया.......

(Read in Caption) 
उसकी चिता अब तक जलकर राख हो चुकी है,
देश की एक और बेटी अलविदा कहकर जा चुकी है।

इंसाफ़ का क्या है वो तो कभी मिलना है ही नहीं,
यहीं वजह है दरिंदो की हैवानियत मजबूत जड़ें जमा चुकी है।

हवस की आग बुझाने चले थे ये नापाक दरिंदे,

एक और निर्भया.......

(Read in Caption) 
उसकी चिता अब तक जलकर राख हो चुकी है,
देश की एक और बेटी अलविदा कहकर जा चुकी है।

इंसाफ़ का क्या है वो तो कभी मिलना है ही नहीं,
यहीं वजह है दरिंदो की हैवानियत मजबूत जड़ें जमा चुकी है।

हवस की आग बुझाने चले थे ये नापाक दरिंदे,