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श्यामों की सरपरस्ती में अलसुबह के कोहरे में, उन्म

श्यामों की सरपरस्ती में

अलसुबह के कोहरे में,
उन्मादी के पेहरे में,
व्यस्तता की वो कश्ती है.
उबासी की गर्माहट में,
ठंडी हवा की आहट में,
उनींदी आँखें मेरी है.
परिंदों के कलरव में,
कल्पनाओं के सरवर में,
एक बेरंग-सा ठहराव है.
न वक़्त की कोई छाँव,
न जीने का कोई चाव,
बदरंग-सी दुनिया में,
अंधी दौड़ की पतवार.

उनींदे दिनों ने,
व्यस्तताओं के जिनो ने,
मुझे क्या दिया है.
तितलियों-से रंग खोए,
जिंदगी के वन खोए,
तन्हाई के गमों के लिए,
जाने कितने जन खोए.
कभी दिन की संध्या में,
फुर्सत की नद्या में,
कुछ देर पसरता हूँ.
तब कुछ यादों की लेहरें,
कुछ खिलती सेहरें,
बड़ी मुश्किल से मिलती है.
सच दिखता है तब,
थकी नज़रों की ओट से.
तब सोचता हूँ खो जाऊँ,
कहीं खुद को ही पा जाऊँ,
इन संधलियों की बस्ती में,
श्यामों की सरपरस्ती में... #evening #sham #hindikavita #gazal #shayri #philosophy #life #lovepoetry #painful #goodevening
श्यामों की सरपरस्ती में

अलसुबह के कोहरे में,
उन्मादी के पेहरे में,
व्यस्तता की वो कश्ती है.
उबासी की गर्माहट में,
ठंडी हवा की आहट में,
उनींदी आँखें मेरी है.
परिंदों के कलरव में,
कल्पनाओं के सरवर में,
एक बेरंग-सा ठहराव है.
न वक़्त की कोई छाँव,
न जीने का कोई चाव,
बदरंग-सी दुनिया में,
अंधी दौड़ की पतवार.

उनींदे दिनों ने,
व्यस्तताओं के जिनो ने,
मुझे क्या दिया है.
तितलियों-से रंग खोए,
जिंदगी के वन खोए,
तन्हाई के गमों के लिए,
जाने कितने जन खोए.
कभी दिन की संध्या में,
फुर्सत की नद्या में,
कुछ देर पसरता हूँ.
तब कुछ यादों की लेहरें,
कुछ खिलती सेहरें,
बड़ी मुश्किल से मिलती है.
सच दिखता है तब,
थकी नज़रों की ओट से.
तब सोचता हूँ खो जाऊँ,
कहीं खुद को ही पा जाऊँ,
इन संधलियों की बस्ती में,
श्यामों की सरपरस्ती में... #evening #sham #hindikavita #gazal #shayri #philosophy #life #lovepoetry #painful #goodevening
ankurnavik2580

Ankur Navik

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