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पिंजरे मे बैठे उस उदास परिंदे को अपना अतीत फिर या

पिंजरे मे बैठे उस उदास
परिंदे को  अपना अतीत फिर याद  आया. है 
उसे  खुले आकाश मे अपनी स्वछंद  उड़ानो का स्मरणन भी 
हो आया है
जोर फिर वो गहरी पीड़ा मे छटपटाने लगा और  अपना सिर पिंजरे  की दीवारो से टकराता  रहा और. उसका परिणाम ये हुआ कि वो पिंजरा टूट गया  और उसे अपना स्वचंद आकाश  फिर से मिल  गया

©Arora PR
  पिंजरे का पंछी
arorapr7519

Arora PR

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पिंजरे का पंछी #कविता

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