पीपल की परिक्रमाओं सा पवित्र निश्छल बैर तुम्हारा मुझसे कभी तो उस प्रेम को भी कोसता होगा जो एक बार तुम्हारी निगाहों के झोले से गिर गया था मैंने उठाकर लौटाया नहीं जिसे और तुमने भी मुस्कराकर वापस नहीं मांगा.. उस बैर का यूं कोसना भी मंजूर है मुझे क्योंकि तुम्हारे प्रेम का आसमानी रेनकोट पहने मैं कई सावन जी जाता हूँ चढ़ जाता हूँ गम के पहाड़ तुम्हारे फितूर में मुस्कुराकर.. आखिर तुमसे ही तो सीखा है मैंने चलते रहना एक परछाई का हाथ थामे.. -KaushalAlmora #परछाई #परिक्रमा #फितूर #yqdidi #love #प्रेम #बैर #lovequotes PC: HD wallpaper app