Nojoto: Largest Storytelling Platform

जो नहीं भी जानता था वो बात बता दी वक्त ने मरहमों क

जो नहीं भी जानता था वो बात बता दी
वक्त ने मरहमों की औकात बता दी
ज़िंदगी का सफ़र अभी थोड़ा लम्बा है
अंधेरे में था आखों की रौशनी बढ़ा दी
जो नहीं भी......
प्यासा बहुत था गुजर रहा था तेरे शहर से
पता चला तो अश्कों ने प्यास बुझा दी
औकात मेरी बताई या उनकी यक्ष प्रश्न है
लेकिन मेरा सोया हुआ जज़्बात जगा दी
जो नहीं भी......
अब ठोकरों को शत् शत् नमन करता हूं
भ्रमित मन को सत्य की राह दिखा दी
माया तो सब कुछ है गिरिधर गोपाल की
"सूर्य" वक्त ने मरहमो का मुखौटा हटा दी 
जो नहीं भी......

©R K Mishra " सूर्य "
  #वक्त#और#व्यक्ति  Babli BhatiBaisla Ashutosh Mishra Rama Goswami Ƈђɇҭnᴀ Ðuвєɏ Poonam Suyal