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कितने सिर कुर्बान हुए, ये आजादी लाने को बुझ गए कित

कितने सिर कुर्बान हुए, ये आजादी लाने को
बुझ गए कितने कुलदीपक, एक मशाल जलाने को

तोड़े कितने ही पहाड़, तूफानो के रुख मोड़े
हमसे नींद नहीं छुटती, उन्होने जीवन छोड़े
उनका भी था यौवन और, वो भी इश्क में डूबे फिरते थे
फर्क इतना कि हम खुद से, वो प्यार देश से करते हैं
होकर निर्भय जान न्यौछावर, देश की खातिर कर जाते थे
हम डरकर जीते हैं हरदम, वो हँसते-हँसते मर जाते थे
आज़ादी का ये दिन आता, हमको याद दिलाने को
बुझ गए कितने कुलदीपक, एक मशाल जलाने को

✏कार्तिकेय श्रीवास्तव #Azadi #Freedom #natinalism #nationfirst #loveindia #i_love_my_india 

#independenceday2020
कितने सिर कुर्बान हुए, ये आजादी लाने को
बुझ गए कितने कुलदीपक, एक मशाल जलाने को

तोड़े कितने ही पहाड़, तूफानो के रुख मोड़े
हमसे नींद नहीं छुटती, उन्होने जीवन छोड़े
उनका भी था यौवन और, वो भी इश्क में डूबे फिरते थे
फर्क इतना कि हम खुद से, वो प्यार देश से करते हैं
होकर निर्भय जान न्यौछावर, देश की खातिर कर जाते थे
हम डरकर जीते हैं हरदम, वो हँसते-हँसते मर जाते थे
आज़ादी का ये दिन आता, हमको याद दिलाने को
बुझ गए कितने कुलदीपक, एक मशाल जलाने को

✏कार्तिकेय श्रीवास्तव #Azadi #Freedom #natinalism #nationfirst #loveindia #i_love_my_india 

#independenceday2020