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कुछ कहानियों की कोई मंज़िल नहीं होती कुछ किस्से कभ

कुछ कहानियों की 
कोई मंज़िल नहीं होती
कुछ किस्से कभी 
अधूरे हुआ नहीं करते

हर रात के नसीब में 
पूरा चाँद नहीं होता
कुछ सितारे कभी 
धूमिल हुआ नहीं करते...
© abhishek trehan


 बेहद ग़मगीन करने वाली ख़बर है कि हिंदुस्तान के लोकप्रिय शायर राहत इंदौरी साहब का आज दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है। कोरोना से संक्रमित भी थे। 

उनका जन्म 1 जनवरी 1950 को इंदौर, मध्यप्रदेश में हुआ था। बचपन का नाम कामिल था, जो बाद में राहतुल्ला क़ुरैशी हुआ। और इसी राहतुल्ला से राहत इंदौरी के नाम से दुनियाभर में प्रसिद्धि हासिल की। 

उनकी शायरी में प्रेम, आक्रोश, व्यंग्य और दर्शन की व्यापकता थी। मंच पर उनके ग़ज़ल सुनाने का अंदाज़ तो एक दम ही निराला था। श्रोताओं को बांध के रख देते थे। 
ऐसे अज़ीम शायर क
कुछ कहानियों की 
कोई मंज़िल नहीं होती
कुछ किस्से कभी 
अधूरे हुआ नहीं करते

हर रात के नसीब में 
पूरा चाँद नहीं होता
कुछ सितारे कभी 
धूमिल हुआ नहीं करते...
© abhishek trehan


 बेहद ग़मगीन करने वाली ख़बर है कि हिंदुस्तान के लोकप्रिय शायर राहत इंदौरी साहब का आज दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है। कोरोना से संक्रमित भी थे। 

उनका जन्म 1 जनवरी 1950 को इंदौर, मध्यप्रदेश में हुआ था। बचपन का नाम कामिल था, जो बाद में राहतुल्ला क़ुरैशी हुआ। और इसी राहतुल्ला से राहत इंदौरी के नाम से दुनियाभर में प्रसिद्धि हासिल की। 

उनकी शायरी में प्रेम, आक्रोश, व्यंग्य और दर्शन की व्यापकता थी। मंच पर उनके ग़ज़ल सुनाने का अंदाज़ तो एक दम ही निराला था। श्रोताओं को बांध के रख देते थे। 
ऐसे अज़ीम शायर क