मन चाहता है आज भी अम्मा के हाथों बनी रोटियां खाना बाबा की नकल उताराना भाई के साथ खेलना/लड़ना देर तक लम्बी ताने सोते रहना बात_बे बात खुलकर ठहाके लगाना सबको प्यार करना सबका प्यार पाना हर पल बेफिक्र, बेखौफ रहना पराये पन के ठप्पे से उबर मईया बाबा की वही नन्हीं सी गुडिया बन उसी आंगन में फिर से जम जाना कितना कुछ चाहता है ये मन... जो मुश्किल है सबको बतलाना ©vandana upadhyay #cloud वंदना उपाध्याय.