Beena soche main likh nahi pata. Soch ke likha log samjh nahi pate. Iss mushqil ke daur mein.. Alfaaz kanjoos hain aur jazbaat Gumrah. बिना सोचे मैं लिख नहीं पाता। सोच के लिखा लोग समझ नहीं पाते। इस मुश्किल के दौर में अलफ़ाज़ कंजूस हैं और जज़्बात गुमराह। Now people may ask "अरे भई, लिखा क्या चाहते हो।" #SochteHain #WritersDiary #WritingAboutWriting #सोचसेपरे #SochneKiAadat #ThoughtProcess #WriteToExplore #WriteSide बिना सोचे मैं लिख नहीं पाता। सोच के लिखा लोग समझ नहीं पाते। इस मुश्किल के दौर में अलफ़ाज़ कंजूस हैं और जज़्बात गुमराह।