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कोई मिला था अंजान बन कर अपना सा बन गया है अब नहीं

कोई मिला था अंजान बन कर
अपना सा बन गया है अब

नहीं करता है मन बिछड़ने का
ना जाने मिलेंगे दोबारा हम कब

रोकना चाहा रुक ना पाए 
बढ़ गए कदम इश्क़ की ओर इतने
अब हम वही करने लगे है
उनका करने को चाहता है जो मन 



आपका हमदर्द

©Kiran Pawara #Love  love poetry for her poetry quotes love poetry in hindi hindi poetry poetry lovers
कोई मिला था अंजान बन कर
अपना सा बन गया है अब

नहीं करता है मन बिछड़ने का
ना जाने मिलेंगे दोबारा हम कब

रोकना चाहा रुक ना पाए 
बढ़ गए कदम इश्क़ की ओर इतने
अब हम वही करने लगे है
उनका करने को चाहता है जो मन 



आपका हमदर्द

©Kiran Pawara #Love  love poetry for her poetry quotes love poetry in hindi hindi poetry poetry lovers
priyanka7205

Kiran Pawara

New Creator
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