हवाऐ ***-*-*-*- दरम्याँ जमीं आशमां जो नज़ारे है , वो न तुम्हारे हैं न हमारे हैं ! जिसे न देख पाई दुनिया अबतक, इसमें खुद़ा के ही इशारे हैं !! सारी मख़लुकात है जिनकी मुन्तज़िर , जब से इस दुनिया मे पधारे हैं ! तुम बेंचने लगे पानी भी तो क्या हुआ ?. कुछ आश तो जीने की इसके ही सहारे हैं !! मोहताज़ हो तुम भी चंद पल के नादान , दो पल भी न बग़ैर इसके गँवारे हैं ! हकीकत से रूबरू हो ले "अनवर" खुद़ा करता तुझे इशारे है !! दऱम्यािँ जमीं आशमां जो नज़ारे है , वे न तुम्हारे है न हमारे हैं ! अनवर हुसैन "अणु " भागलपुरी #हवाऐ vkcareerguru