बहुत हुई कविताए सारी, सुनते है एक सच्ची कहानी बड़े से घर में, सुंदर उपवन में रहती थी एक चिड़िया रानी आंखों में एक तेज़ चमक थी, बोली में एक मधुर चहक थी बड़ी लगन से उड़ना सीखा, हर पड़ाव से लड़कर जीता बंद कमरे में उड़ती रहती, बेहतर करने की कोशिश करती अब थी, खुले गगन की बारी, कड़ी मेहनत से करी तैयारी तत्तपर थी वह, अब बादलो के ऊपर जाना था पहला मौका था, जब हुनर पूरी दुनिया को दिखाना था मन में था विश्वास अटल, हर्ष की न कोई सीमा थी वास्तविकता से अंजान थी, भाग्य की विचित्र ही रूप रेखा थी न जाने किसने छुप कर उसके पंख काट लिए, पूरी कोशिश करी की उसके सारे सपने चूर करे बिन पर के भी संभल गयी, संकल्प कुछ ऐसा दृढ़ था उड़ न पायी बिन पंखों के बस इसी बात का अत्यंत दुख था जिसने काटे थे पर उसके वह भी बड़ा हैरान हुआ घायल पड़ी उस चिड़िया के लिए यह भी एक इनाम बना हौसला मजबूत करके वह फिरसे उठकर खड़ी हुई कटे हुए पंखों को सहलाया, कुछ दिनों बाद, दुगनी गति से उड़ान भरी #Determination❤