सब हम सहते रहे फ़िर भी इश्क़ हम करते रहे कोई भी उलाहना, नहीं डिगा पाया कभी भी हमें हम अपने दिल की सुनते रहे नहीं हमें अफ़सोस किसी बात का हम अपनी मर्ज़ी से ही जीते रहे जिसे जो कहना था वो कह गया हम सब का कहा नजरअंदाज करते रहे ♥️ Challenge-701 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।