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ये धरती ये अम्बर ये सावन घटायें नदियों की कलकलाह

ये धरती ये अम्बर
ये सावन घटायें 

नदियों की कलकलाहठ ।
पंछियों की गुनगुनाहट 
बादल छाये है काले-काले 
कितनी सुहावन हैं घनघोर घटायें।।

ये धरती ये अम्बर
ये सावन घटायें 

बारिश  की फ़ुहार 
छाया हैं गुमार 
चारों तरफ है हरियाली 
कोयल की है गीत प्यारी ।।

ये धरती ये अम्बर 
ये सावन घटायें 

मोर पंख फैलाये ।
मेढ़क भी गीत सुनाये 
चारों तरफ है खुशहाली 
अम्बर में है बादल छाये 
मेघों की है मनमानी ।।

ये धरती ये अम्बर 
ये सावन घटायें 

-Shashi Dwivedi सावन आया झूम के
ये धरती ये अम्बर
ये सावन घटायें 

नदियों की कलकलाहठ ।
पंछियों की गुनगुनाहट 
बादल छाये है काले-काले 
कितनी सुहावन हैं घनघोर घटायें।।

ये धरती ये अम्बर
ये सावन घटायें 

बारिश  की फ़ुहार 
छाया हैं गुमार 
चारों तरफ है हरियाली 
कोयल की है गीत प्यारी ।।

ये धरती ये अम्बर 
ये सावन घटायें 

मोर पंख फैलाये ।
मेढ़क भी गीत सुनाये 
चारों तरफ है खुशहाली 
अम्बर में है बादल छाये 
मेघों की है मनमानी ।।

ये धरती ये अम्बर 
ये सावन घटायें 

-Shashi Dwivedi सावन आया झूम के