जन2 का फैला रंग है बदला, देखो जरा-सी जन2 की चाल, खुद तो बदला पर सबकी रुख भी बदला और बदला ये संसार! बदला भी तो ऐसे बदला जब कोरोना ने लाई है 'मौतों की बहार'! आज प्रकृति ने दिखाई है'खुद की चाल' तो जग की चाल है देखो अब चला संभलने ये बेखबर संसार! काश की थोड़ा पहले-ही मुड़कर देखते तो, आज इतनी लाशों की भरमार न होती, मंदिर-मस्जिद सब बनते पर साथ में बनते हज़ारों बेडों वाला अस्पताल! जहाँ होने न देते कोई कमी रहती हर सुविधाओं की भरमार, न होती ऑक्सीजन की कमी काश बनाकर रखते अस्पताल में ही एक2 मिनी प्लांट! हालात-ए-बयाँ आज न बनती ये नदियाँ,सागर,धरती,और आसमाँ कब्रिस्तान N.Gupta #ये जहाँ