हुआ सवेरा सूरज आया , लाल-लाल किरणों को लाया। धूप हुयी औ चिड़ियां चहकीं, पुष्प खिले औ कलियां महकीं।। पौधों में भी प्रभा आ रही, लालिमा हर तरफ छाई है। सभी दिशाएं हर्ष कर रहीं, नदियां भी मुस्काई हैं।। शोभित मन्द बयार हो रही, तिमिर गया है भू से भाग। जगा हुआ भूमण्डल सारा, कर्मवीर अब तू भी जाग।। -पं. शिवेन्द्र मिश्र "मनमोहन" प्रभात-वर्णन