दूरियों ने बढ़ा दिया है यादों का सिलसिला, तुम बनके खु़शबू क्यों मुझमें महकती नहीं, रात पर छा रहा है ये कैसा नशा, तुम बन के हवा क्यों फिज़ा में चहकती नहीं। ना रूका था ना रूकेगा, कभी किसी के लिए फ़ितरत इस दिल की कभी बदलती नहीं, तेरी सोहबत की रहती है मुझको तलब, ग़ैरों की महफ़िल में तबीयत अब बहकती नहीं... ♥️ Challenge-741 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।