किस कवि की है ये कल्पना कौन उसका शिल्पकार है। साँवले पन की मलिनता में प्रस्फुटित अद्भुत श्रृंगार है। मृगनयनी, मृदुभाषिणी, गजगामिनी ,राका यामिनी सी, ये किस चित्रकार की है रचना ये किसका शाहकार है। ये कंचुकी कसी कसी सी कुंतल परस्पर फँसी फँसी सी, लहराता, बलखाता बदन है या सम्पूर्ण तन मंझधार है। रस खान है या पग-हाथ रस हैं या है काव्य बना रस, अंग अंग के किरणों से निकलती नव रस की बौछार है। उन्मादित रास रंग में धड़कन में गुंजित मंजीरा मृदंग में, स्त्री है या ये ईश्वर द्वारा निर्मित कल्पनातीत चमत्कार है। आदित्य गुप्ता गरियाबंद छतीसगढ़ आदित्य का साहित्य