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यादों पर भी लिखा गया काश कोई पहाड़ा होता

यादों  पर  भी  लिखा  गया 
काश  कोई   पहाड़ा  होता
यादों  की  भी  गिनती होती
याद गुणा याद दहाड़ा होता!

क्यों  देती  हैं  वीरानियाँ  हमें 
उनसे बार - बार सवाल करते 
उदासी  देने  का  खास सबब  
आँखों में आँखे डाल पूछा जाता! यादें हमेशा बुरी हो यह भी जरूरी नहीं मगर रुलाती ज़रूर है..! आप सभी मित्रों का शुक्रिया मुझे याद करने के लिए.!

याद गुणा एक होता ग़म
याद को दो से गुणा करते हम
तीन से गुणा कर रोते थोड़ा
चार से फिर थोड़ा होता जोड़ा
पाँच से याद तकलीफ़ देने लगती
छह तक आते आते कष्ट सहने लगती
यादों  पर  भी  लिखा  गया 
काश  कोई   पहाड़ा  होता
यादों  की  भी  गिनती होती
याद गुणा याद दहाड़ा होता!

क्यों  देती  हैं  वीरानियाँ  हमें 
उनसे बार - बार सवाल करते 
उदासी  देने  का  खास सबब  
आँखों में आँखे डाल पूछा जाता! यादें हमेशा बुरी हो यह भी जरूरी नहीं मगर रुलाती ज़रूर है..! आप सभी मित्रों का शुक्रिया मुझे याद करने के लिए.!

याद गुणा एक होता ग़म
याद को दो से गुणा करते हम
तीन से गुणा कर रोते थोड़ा
चार से फिर थोड़ा होता जोड़ा
पाँच से याद तकलीफ़ देने लगती
छह तक आते आते कष्ट सहने लगती