वह एक शब्द नहीं, अब एक सवाल बनकर रह गई थी । मां का शब्द सुनते ही, मेरे कोरे कागज क्युं विरान सी रह गयी थी।। मेरे कलम नजाने क्युं थम से गए , क्युं मेरी कविता की कलीयां मुरझा से गए। फिर याद आया, ऐसे लफ्ज बने ही नही, जो मां को समझा पाए।। बिना मां के मेरी जिंदगी सुनसान सी रह गयी थी। मां का शब्द सुनते ही, मेरे कोरे कागज क्युं विरान सी रह गयी थी।। मां मेरे साथ है हमेशा.................. वो मेरी किस्मत थी । मां महज एक शब्द नहीं ....... मेरे लिए तो वो जनत थी।। वो हर खुशी का एहसास बनकर रह गयी थी वह एक शब्द नहीं, अब एक सवाल बनकर रह । मां का शब्द सुनते ही, मेरे कोरे कागज क्युं विरान सी रह गयी थी।। ..... bhavya kumari #maa#my mom #jnnat