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लापता हूँ कब से मैं अब ढूंढना भी नही है खुद को खोक

लापता हूँ कब से मैं
अब ढूंढना भी नही है खुद को
खोकर ही जीना अब अच्छा लगता है
न किसी सवाल के डर से छुपना
और न किसी को जवाब देने की डगर।।

खुश हूं या नही अब शायद
इस बात से भी फर्क कुछ पड़ता नही
बस दिन में ख्यालों के साथ तो 
रात में अल्फाज़ो के संग वक़्त 
बिताना अब अच्छा लगता है ।।

नींद को भी आदत हो गई है
हर रात ,मेरे सिरहाने जागने की
वो खामोशी से भरे एक एक पल को 
महसूस करना अब अच्छा लगता है ।।
लापता हूँ न जाने कब से 
पर यूँ ही गुमनामी में रहना ही अब अच्छा लगता है ।।। #nojoto #nojotohindi #poetry #laapta #undefinedlove
लापता हूँ कब से मैं
अब ढूंढना भी नही है खुद को
खोकर ही जीना अब अच्छा लगता है
न किसी सवाल के डर से छुपना
और न किसी को जवाब देने की डगर।।

खुश हूं या नही अब शायद
इस बात से भी फर्क कुछ पड़ता नही
बस दिन में ख्यालों के साथ तो 
रात में अल्फाज़ो के संग वक़्त 
बिताना अब अच्छा लगता है ।।

नींद को भी आदत हो गई है
हर रात ,मेरे सिरहाने जागने की
वो खामोशी से भरे एक एक पल को 
महसूस करना अब अच्छा लगता है ।।
लापता हूँ न जाने कब से 
पर यूँ ही गुमनामी में रहना ही अब अच्छा लगता है ।।। #nojoto #nojotohindi #poetry #laapta #undefinedlove