पतंग साज ,एक पतंग बना,जो ऊँची उड़े उड़ान लिखनी है अब आसमान पर मैंने नई क़ुरान फ़िर से जिक्र वली का होगाऔर अली से बातें होंगीं कान्हा की बंसी सुन सुन कर कीरत जैसी रातें होंगी पढ़ कर जिसको पहचाने आदम अपनी पहचान लिखनी है अब आसमान पर मैंने नई क़ुरान पतंग साज ,कन्नी मत कसना आज हवा की चलने दे सद्दी के धागों पर उसको आसमान तो मलने दे खोद के देखा किसने बादल मिलेगी कोई खान पतंग साज ,एक पतंग बना जो ऊँची उड़े उड़ान कट जाए ,तो कटने दे,डोर के पहरे हटने दे जो उड़ जाए बन कर पाखी, उम्मीदों को छटने दे लूट लिया तो लूट लिया फिर , है ऎसा इंसान लिखनी है अब आसमान पर मैंने नई क़ुरान कौन फरिश्ता ,पतंग साज अब बात खुदा की बोलेगा वक़्त ही ऐसा आया है जब बाँट तराजू तोलेगा रिश्ते नाते बने तिज़ारत इश्क़ बना एहसान पतंगसाज, चल लिखते हैं फिर से नई क़ुरान उदासियाँ 2 @ पतंगसाज ©Mo k sh K an #उदासियाँ_the_journey #mokshkan #mikyupikyu #ruhina