जयति जय जय ज्ञान दायनी जयति तर्क प्रवाहिनी। तुम ज्ञान कर्म सन्यास योग माँ जयति ब्रह्मचारिणी।। 02 शब्द व्याकरण का माते तुम करती हो अवधान। संयम और समझ देकर तुम करती हो धनवान। जीवन के प्रथम चरण से तेरी आहट मैंने पाई है। करो कृपा तुम मुझपे माते हो जाए चरित्र महान। जयति जय जय ज्ञान दायनी जयति तर्क प्रवाहिनी। तुम ज्ञान कर्म सन्यास योग माँ जयति ब्रह्मचारिणी।। 02 शब्द व्याकरण का माते तुम करती हो अवधान। संयम और समझ देकर तुम करती हो धनवान। जीवन के प्रथम चरण से तेरी आहट मैंने पाई है।