क्या हुआ होगा? क्या हुआ होगा जब उन्होने उसका पहला वस्त्र उतारा होगा वहीं हुआ होगा जब एक फूल को किसी ने तोड़ा होगा मर्जी तो फूल की भी नहीं थी पोधे से अलग होने की वह तो फिर भी इंसान थी पर जरा सोचो तब क्या हुआ होगा जब इंसान ही इंसान न रहा होगा फूल तो दोनों ही थे एक माली की एक अपने घर के आंगन की चीख तो दोनों की निकली होगी पर क्या करे साहब दुनिया बहुत जालिम है उसकी इस चीख को किसी ने कहा सुना होगा और किसी ने सुना भी होगा तो क्या हुआ होगा सुनकर तो नजरअंदाज ही किया होगा हकीक़त ए समाज है ये सुनकर और पढ़कर गुस्सा सबको आता है जोश इनसे लड़ने का सबको आता है पर जरा सोचो उसका क्या हुआ होगा जिसके साथ ये हुआ होगा क्या हुआ होगा उस फूल का जिसके साथ ये हुआ होगा क्या बिता होगा उस पोधे पर जिसका ये फूल हुआ होगा क्या हुआ होगा उसका जिसके साथ ये हुआ होगा। ~विश्व प्रकाश poem by Vishwa Prakash ##Vishwa against rape #Stoprape Samitaroy